*नीमच। श्री विवेक कुमार श्रीवास्तव, विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो एक्ट), नीमच* द्वारा 17 वर्षीय नाबालिक बालिका का अपहरण कर बलात्कार करने वाले आरोपी गुलाम हुसैन पिता कल्लु खां कुरैशी, उम्र-20 वर्ष, निवासी अंबेडकर नगर, खारीकंुआ, जिला नीमच को धारा 363, 366, 376 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 एवं धारा 3/4 लैंगिक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम, 2012 के अंतर्गत दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं कुल 20,000रू. जुर्माने से दण्डित किया।
विशेष लोक अभियोजक श्री जगदीश चैहान द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि पीडिता 17 वर्ष की होकर ग्राम जमुनिया कला में रहती हैं तथा पूर्व में वह दशहरा मैदान स्थित शासकीय कन्या विद्यालय में पढाई करने हेतु बस से नीमच आती जाती थी। आरोपी बस स्टेण्ड स्थित आटो पार्टस की दुकान पर नौकरी करता था, जिससे पीडिता की आते जाते पहचान हो गई थी। आरोपी द्वारा पीडिता को बहला फुसला कर एक मोबाईल दे दिया था, जिससे वह पीडिता से बात करता था। घटना दिनांक 09.10.2019 को पीडिता घर से सिलाई सीखने का बोलकर गई थी जो करीब 4 घंटे के बाद भी वापस नहीं आई तो पीडिता के परिवार वालो ने सिलाई सीखाने वाले टेलर से पूछताछ करी तो उसने बताया की 03 दिन से छुटटी होने से पीडिता उसके वहां नहीं आई फिर पीडिता के परिवार वालों ने पीडिता की आसपास व रिश्तेदारी में तलाश की किंतु वह नहीं मिली व इसी दौरान पीडिता की माता की तबियत खराब होने से पीडिता के मामा ने दिनांक 11.10.2019 को शंका के आधार पर आरोपी के विरूद्ध थाना नीमच सिटी में प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध कराई, जिस पर से अपराध क्रमांक 451/19, धारा 363/34 भारतीय दण्ड संहिता 1860 का पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान दिनांक 14.10.2019 को पुलिस द्वारा हुसैन टेकरी दरगाह के बहार, जावरा (रतलाम) से पीडिता को दस्तयाब किया व आरोपी को गिरफ्तार किया गया। पीडिता द्वारा पुलिस को बताया गया कि घटना दिनांक को आरोपी ने मोबाईल से उसे भाटखेडा बुलाया किन्तु जब पीडिता द्वारा इंकार किया गया तो आरोपी द्वारा धमका कर कि अगर नहीं आई तो वह उसके माँ-बाप व उसको मार डालेगा। डर के कारण पीडिता भाटखेडा गई, जहाँ से आरोपी उसे जावरा से होते हुए अजमेर (राजस्थान) के होटल गुलाब पैलेस में ले गया, जहाँ आरोपी द्वारा पीडिता से बलात्कार किया गया, फिर व पीडिता को वापस जावरा लेकर आया जहाँ से पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पीडिता द्वारा बताई घटना के आधार पर पुलिस धारा 366, 376 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 एवं लैंगिक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3/4 का ईजाफा करते हुए अन्य आवश्यक विवेचना पूर्ण कर अभियोग-पत्र माननीय विशेष न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान पीड़िता सहित भी महत्वपूर्ण साक्षीगण के बयान कराकर आरोपी के विरूद्ध अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराकर उसके कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का तर्क रखा गया। माननीय विशेष न्यायाधीश द्वारा आरोपी को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363 में 7 वर्ष सश्रम कारावास व 5000रु जुर्माना, धारा 366 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 5000रु जुर्माना व धारा 376 में आजीवन कारावास व 5000रु जुमाना तथा लैंगिक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम, 2012 की धारा 3/4 में आजीवन कारावास व 5,000रू जुर्माना, इस प्रकार आरोपी को आजीवन कारावास व कुल 20,000रु जुर्माने से दण्डित करते हुए जुर्माने की कुल रकम 20,000रु को पीडिता को प्रतिकर के रूप में प्रदान किये जाने का आदेश भी दिया गया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी *विशेष लोक अभियोजक श्री जगदीश चैहान* द्वारा की गई व सहयोग *श्री चंद्रकांत नाफडे, एडीपीओ* द्वारा किया गया।