बुधवार, 25 दिसंबर 2019

गौ-वंश के लिये कृत्रिम गर्भाधान वास्तव में वरदान

 
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सीहोर | 


 

 

 


    पशुओं की उन्नत नस्ल के लिये कृत्रिम गर्भाधान वास्तव में वरदान साबित हुआ है। पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान के लिये राष्ट्रीय स्तर पर चलाये जा रहे कार्यक्रम में प्रदेश के 100 गाँवों का चयन किया गया है। प्रदेश में यह राष्ट्रीय कार्यक्रम 15 मार्च 2020 तक चलाया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान दूध उत्पादन में वृद्धि कि दिशा में कारगर कदम है। उन्नत किस्म के नन्दी (सायर) के वीर्य से हुए गर्भाधान के कारण एक ओर जहाँ दूध की मात्रा में वृद्धि होती है, वहीं दूसरी ओर उन्नत किस्म के गौ-वंश में भी वृद्धि होती है। कृत्रिम गर्भाधान में पशु पालक को अलग से नन्दी रखने की आवश्यकता नहीं होती। नन्दी की मृत्यु होने की दशा में भी उसके सुरक्षित वीर्य का उपयोग गर्भाधान के लिये किया जा सकेगा। नई एवं उन्नत किस्म की प्रजातियों में वृद्धि के लिये कृत्रिम गर्भाधान एक सुरक्षित एवं सरल प्रक्रिया है।




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