सोमवार, 23 दिसंबर 2019

मानसिक अवसाद ही ज़घन्य अपराधों को उत्पन्न करता है, हमें इन सब से बचना होगा-एएसपी महेन्द्र तारनेकर


*बिम्ट्स महाविद्यालय में ''राष्ट्रीय सम्मेलन'' में वक्ताओं ने रखे विचार*


बुरहानपुर। मानसिक अवसाद ही ज़घन्य अपराधों को उत्पन्न करता है, हमें इन सब से बचना होगा। आज जो हमने मोबाईल को सबसे घनिष्ट मित्र बना रखा है उसका नाता जरूरत के हिसाब से रखना होगा।
यह बात बुरहानपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेन्द्र तारनेकर ने अपने प्रोफेषन और सर्विस की घटनाओं को साझा करते हुुए कही। वे निमाड़ क्षेत्र की अग्रणी षिक्षण संस्था प्रो. बृजमोहन मिश्रा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एण्ड टेक्निकल साइंसेस महाविद्यालय बुरहानपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के द्वितीय दिवस अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य विषय पर अपने विचार रखें।


 



संस्था के जनसंपर्क अधिकारी मिर्जा राहत बेग ने बताया कि महाविद्यालय के ऑडोटोरियम मेें आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में ''मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और आत्महत्या के रोकथाम के लिए एक साथ काम करना'' विषय पर कार्यक्रम हुआ। द्वितीय दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ संस्था की अध्यक्ष श्रीमती राखी मिश्रा, उपाध्यक्ष अनिल जैन, अतिथि एवं वक्ता बुरहानपुर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेेंद्र तारनेकर एवं उज्जवल दत्ता व श्रीमती सोमा दत्ता ने दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती तथा प्रो.बृजमोहन जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की रिसर्च स्कॉलर श्रीमती कोमल शुक्ला ने अपना पेपर प्रेजेंटेषन किया।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेन्द्र तारनेकर ने कहा कि आज के युवा वर्ग पर मोबाईल, सोषल मीडिया का इतना प्रभाव पड़ा है कि उसके सोचने-समझने की शक्ति इसके चक्रव्युह में फंसकर सीमित रह गई है। आज वे कॉम्पीटिषन के चक्कर में अपनी वास्तविक कार्यक्षमता को भुलकर मानसिक रूप से बीमार होते जा रहे है। सफलता के पाने के चक्कर में नैतिकता भुल जाते है और ऐसे कदम उठाते है कि स्वयं के साथ-साथ अपने पुरे परिवार, दोस्तों को भी भुल जाते है और उनमें आत्महत्या की प्रवृत्ति जागृत होती है। क्योंकि वे किसी भी प्रकार की असफलता को सहन नहीं कर पातें है। सोषल मीडिया, न्यूज चैनल की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है जब भी आत्महत्या से जुड़ी घटनाओं को वे बार-बार दिखाते और उसे अधिक-अधिक फैलाते है। जिसका दुष्प्रभाव दूसरों पर भी पड़ता है। जिन परिस्थितियों में कोई आत्महत्या की घटना होती है। उसका प्रचार-प्रसार सोषल मीडिया और समाचार पत्रों पर न्यूज चैनलों पर होता है और आत्महत्या वाली घटना से मेल खाती परिस्थितियों वाले व्यक्तियों पर बहुत ज्यादा असर डालती है।
संस्था उपाध्यक्ष श्रीमती राखी मिश्रा ने आज के कार्यक्रम के अतिथियों एवं वक्ताओं द्वारा राष्ट्रीय सम्मेलन के मुख्य विषय पर विचारों एवं व्यक्तिगत अनुभवों के माध्यम दी गई महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए उनका धन्यवाद किया और विद्यार्थियों को आव्हान किया कि आज के इस विषय पर विचार मंथन कर उसे आत्मसात करे और स्वयं भी इससे षिक्षा ले और अपने आस-पास किसी को भी मानसिक अवसाद से ग्रसित पाएं तो उसकी सहायता करें। इसके साथ ही संस्था उपप्राचार्य डॉ.जैनुद्दीन अली ने मानसिक स्वास्थ्य एवं आत्महत्या की रोकथाम पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहां कि मनुष्य आजकल जिस वातावरण रह रहा है वह बहुत मानसिक व शारिरीक दृष्टीकोण से बहुत कष्ट दायक है।
सर्वप्रथम सम्मेलन की वक्ता श्रीमती सोमा दत्ता ने ''मानसिक स्वास्थ्य संवर्धन और आत्महत्या के रोकथाम के लिये एक साथ काम करना'' इस विषय की गंभीरता पर प्रकाष डालते हुए कहा कि आज बहुत महत्वपूर्ण हो गया कि समाज के प्रत्येक वर्ग लोगों में इसके जागरूकता फैलाना आवष्यक है। अर्वाचीन इंडिया स्कूल के प्राचार्य उज्ज्वल दत्ता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए वर्तमान की स्थिति में इस तरह के सम्मेलन की आवश्यकता की ओर प्रकाष डाला और मानसिक स्वास्थ्य एवं आत्महत्या के रोकथाम के लिए एक साथ काम करने को परिभाषित किया।
संस्था के प्राध्यापक जहांगीर तड़वी ने पॉवर पाईंट प्रेझेटेंषन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य पर अपने विचारों को रखा इनके साथ ही प्राध्यापक श्रीमती सफिया अन्सारी ने पॉवर पाईंट प्रेजेंटेषन के माध्यम से आत्महत्या की प्रवृत्ति एवं उसकी रोकथाम के लिए सायकोलॉजीकल दृष्टीकोण से प्रकाष डाला। इसके साथ ही नर्सिंग की छात्राओं ने पॉवर पाईंट प्रेझेंटेषन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। षिक्षण विभाग की छात्राओं द्वारा सम्मेलन के मुख्य विषय पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन संस्था के युवराज जाधव एवं मार्टिना जॉन ने किया। कार्यक्रम के अंत में शैलेन्द्र उपाध्याय ने अतिथीयों का आभार प्रदर्षन किया। सम्मेलन के दूसरे दिन 500 अधिक विद्यार्थी एवं स्टॉफ सहभागी हुए। अंतिम दिन समस्त विद्यार्थियों को राष्ट्रीय सम्मेलन का प्रमाण-पत्र वितरित किया गया।
दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के सफलतापूर्वक समापन पर संस्था अध्यक्ष श्रभ्मती राखी मिश्रा, उपाध्यक्ष अनिल जैन, सचिव अमित मिश्रा, प्रषासनिक अधिकारी विषाल गोजरे, संस्था के प्राचार्य सैय्यद आसिफ अली, डॉ.जैनुद्दीन अली, नर्सिंग के प्रभारी प्राचार्य शैलेन्द्र उपाध्याय, प्रिन्यू थॉमस, अर्जुन वर्मा, डॉ.शीतल पाटीदार, डॉ. कविता पवार, अष्विनी चौधरी, मयुर पाटील एवं समस्त स्टॉफ ने शुभकामनाएं प्रेषित की।


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