बुधवार, 18 दिसंबर 2019

पीपीपी मोड पर गौ अभ्यारण्य बनाने की कार्ययोजना की दी जानकारी गौशालाओं के संचालन में व्यावसायिक एवं संगठनों से मांगा सहयोग, कलेक्टर ने ली बैठक

















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पीपीपी मोड पर गौ अभ्यारण्य बनाने की कार्ययोजना की दी जानकारी
गौशालाओं के संचालन में व्यावसायिक एवं संगठनों से मांगा सहयोग, कलेक्टर ने ली बैठक
जबलपुर | 


 

 

   कलेक्टर श्री भरत यादव ने आज बुधवार को आयोजित बैठक में विभिन्न औद्योगिक, व्यावसायिक एवं सामाजिक संगठनों तथा मंदिर ट्रस्टों से जिले में वर्तमान में पंजीकृत गौशालाओं और ग्रामीण क्षेत्र में नई बन रही गौशालाओं के संचालन में आगे बढ़कर सहयोग करने का आग्रह किया है।  श्री यादव ने कहा कि गौशालाओं के संचालन में सहयोग करने के लिए कोई भी नागरिक या संगठन इसके लिए तैयार किये गये ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से भी दान दे सकते हैं। बैठक में पूर्व मंत्री श्री चन्द्रकुमार भनोत, जिला पंचायत के सीईओ प्रियंक मिश्रा, महाकौशल चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष श्री रवि गुप्ता, जबलपुर चेम्बर ऑफ कामर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री हिमांशु राय, श्री अनिल ग्रोवर भी मौजूद थे।
    बैठक में कुण्डम में प्रस्तावित गौ अभ्यारण्य पर भी चर्चा की गई।  श्री यादव ने कहा कि करीब 400 एकड़ क्षेत्र में बनने वाले गौ अभ्यारण्य को पीपीपी मोड पर संचालित किया जायेगा।  उन्होंने कहा कि ईको टूरिज्म बोर्ड के सहयोग से गौशालाओं को टूरिज्म से जोड़ने की योजना के तहत शहपुरा के आसपास करीब सौ एकड़ जमीन की तलाश की जा रही है।  श्री यादव ने बताया कि कुण्डम मार्ग पर उमरिया में भी व्यावसायिक तौर पर गौशाला के संचालन के लिए 70 से 80 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है।
    कलेक्टर ने कहा कि इन गौशालाओं के संचालन में रूचि रखने वाली कोई भी निजी संस्थायें, समूह अथवा संगठन अपना प्रस्ताव जिला प्रशासन को दे सकता है।  उन्होंने कहा कि यदि जबलपुर जिले में इन गौशालाओं की पीपीपी मोड पर संचालन का प्रयोग सफल रहा था तो यह प्रदेश में एक अच्छी मिसाल बन सकता है।
    बैठक में श्री यादव ने जिले में गौशाला परियोजना के तहत इस वर्ष बन रही 23 गौशालाओं के बारे में भी जानकारी दी।  उन्होंने कहा कि इन गौशालाओं के संचालन में महिला स्व-सहायता समूहों को पहली प्राथमिकता दी जायेगी।  समाजसेवी संस्थाओं तथा ग्राम पंचायतों को भी इन गौशालाओं के संचालन का भी दायित्व सौंपा जा सकता है।  उन्होंने बताया कि अगले साल ऐसी 66 और गौशालायें ग्रामीण क्षेत्रों में खोली जायेंगी। 
    श्री यादव ने कहा कि गौशाला से निकलने वाले गोबर और गौ-मूत्र से कई तरह के उत्पाद बनाये जा सकते हैं। ताकि इन्हें सेल्फ सस्टेनेबल बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि गोबर स्टिक, दीये, गमले और गौ-मूत्र से बनने इत्र एवं फिनायल भी वर्तमान में काफी प्रचलन में है, इनका अच्छा मार्केट भी है और ये उत्पाद इन गौशालाओं में तैयार किये जा सकेंगे।
    कलेक्टर ने मौजूद मंदिर प्रबंधन और मंदिर ट्रस्ट कमेटियों से भी मंदिरों को होने वाली आमदनी गौशालाओं के संचालन के लिए प्रदान करने का आग्रह किया।  उन्होंने मंदिर परिसर में तालाबों और उपवन के निर्माण पर भी जोर दिया।
    बैठक में मौजूद उद्योग संघों एवं व्यापारिक संगठनों से गौशाला के संचालन में रूचि दिखाते हुए जिला प्रशासन से जिले में संचालित गौशालाओं की आवश्यकता के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने का आग्रह किया।






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