गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

प्रदेश में सशक्त बनती सार्वजनिक वितरण प्रणाली (विशेष आलेख) आलेख- अनिल वशिष्ठ

 
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छिन्दवाड़ा | 


 

     प्रदेश के प्रत्येक जरूरतमंद पात्र परिवार को दो जून की रोटी मुहैया करना राज्य सरकार का प्राथमिक लक्ष्य है। प्रदेश में 5.46 करोड़ हितग्राहियों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधानों के तहत रियायती दर पर राशन मुहैया कराने का काम राज्य सरकार कर रही है। इससे भी आगे बढ़कर मध्यप्रदेश शासन द्वारा अक्टूबर 2019 में 22 हजार राशन दुकानों को आधार-आधारित राशन वितरण व्यवस्था (Ae-PDS) से जोड़ दिया गया। इस व्यवस्था से ऐसे सभी गरीब हितग्राही जो रोजगार की तलाश में किसी अन्य कारणों से एक शहर से दूसरे शहर चले जाते है, वह व्यक्ति उस शहर की किसी भी दुकान से अपना राशन Ae-PDS से ले सकता है। इसका अभी तक 76.93 लाख परिवार लाभ उठा चुके है। यह उल्लेखनीय तथ्य है कि केन्द्र सरकार इस योजना को लागू करने पर विचार कर रही है। उससे पहले मध्यप्रदेश सरकार ने इसे कार्य रूप में परिवर्तित कर दिया है। इसके साथ ही 17 दिसम्बर 2018 को प्रदेश में नई सरकार का गठन जिन ''''वचनों'''' के साथ किया गया था, उनकी पूर्ति भी पूर्ण-प्रतिबध्दता के साथ की जा रही है।
    मध्यप्रदेश खाद्य सुरक्षा दाल वितरण योजना-प्रदेश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत सम्मिलित हितग्राहियों के भोजन में प्रोटीन एवं अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए मध्यप्रदेश खाद्य सुरक्षा दाल वितरण योजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत चना की वितरण दर 27 रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित है। इसमें प्रति सदस्य एक किलो एवं अधिकतम चार किलो प्रति परिवार की पात्रता है। योजना के अंतर्गत हर महीने 117 लाख 47 हजार पात्र परिवारों को 40 हजार 793 मेट्रिक टन का आवंटन दिया गया है।
    शक्कर वितरण- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत सम्मिलित पात्र परिवार के रूप में चिन्हित अन्त्योदय अन्न योजना के 16 लाख 39 हजार 993 परिवारों को 20 रूपये प्रति किलो की दर से एक किलो शक्कर प्रतिमाह प्रति परिवार माह मार्च, 2019 से वितरण प्रारम्भ किया गया है, जिस पर राज्य सरकार द्वारा  3 हजार 224 रूपये प्रति टन के मान से अनुदान दिया जा रहा है।
    मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत अपात्र हितग्राहियों को पोर्टल से विलोपित कर एक लाख 65 हजार 438 नवीन परिवारों को सम्मिलित किया जाकर योजना का लाभ दिया गया है। वर्तमान में 5.46 करोड़ हितग्राहियों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली का लाभ दिया जा रहा है।
               राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार 75 फीसदी आबादी 5 करोड़ 46 लाख को ही लाभांवित करने का प्रावधान है। वर्ष 2018 की अनुमानित जनसंख्या 8 करोड़ 23 लाख हो गई है, जिसकी 75% आबादी 6 करोड़ 17 लाख होती है। इस प्रकार 71 लाख हितग्राहियों के लिये खाद्यान्न आवंटन प्राप्त नहीं हो रहा है। वर्तमान आबादी का 66% हितग्राहियों को ही लाभ मिल पा रहा है, जो कि अधिनियम के अनुसार 9% कम है। इन 71 लाख हितग्राहियों के लिये अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटन करने की मांग भारत सरकार से की गई है।
    पात्र परिवारों का सत्यापन अभियान- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के अंतर्गत वर्तमान में सम्मिलित 117.52 लाख पात्र परिवारों के 5 करोड़ 46 लाख हितग्राहियों के घर-घर जाकर सत्यापन करने का अभियान संचालित किया जा रहा है, जिसमें लगभग 61 हजार सत्यापन दलों द्वारा यह कार्य ''एम-राशन मित्र मोबाईल एप'' के माध्यम से किया जाएगा। अभियान के अंतर्गत पात्र परिवारों के छूटे हुए सदस्यों के नाम की जानकारी संकलित की जाएगी तथा परिवार के सभी सदस्यों के आधार नंबर एवं मोबाईल नंबर भी प्राप्त किए जाएंगे। सत्यापन अभियान में अस्तित्वविहीन एवं अपात्र परिवारों के चिन्हांकन के उपरांत उनको सुनवाई का अवसर देकर विलोपित किया जाएगा, जिसके विरूध्द नवीन परिवारों को जोड़ा जा सकेगा।
    दुकान संचालन हेतु विक्रेताओं के लिए मार्गदर्शिका- एक नवम्बर को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के अवसर पर प्रदेश के समस्त 24 हजार 713 उचित मूल्य दुकान के विक्रेताओं को दुकान संचालन संबंधी मार्गदर्शिका उपलब्ध कराई गई है।
               रबी विपणन वर्ष 2019-20 में 9 लाख 87 हजार 258 किसानों से 73 लाख 69 हजार 550 मेट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया गया जो कि विगत वर्ष से 53 हजार 508 मेट्रिक टन अधिक है। उपार्जित गेहूं की कुल राशि 13 हजार 560 करोड़ रूपये का भुगतान किसानों को किया गया है जो विगत वर्ष से 867 करोड़ अधिक है। समर्थन-मूल्य पर फसलों के उपार्जन के साथ ही भुगतान प्रक्रिया को भी पारदर्शी और त्वरित भी किया गया है। रबी फसलों के उपार्जन के लिए खरीदी केन्द्रों की संख्या 3008 से बढ़ाकर 3545 की गई। किसान भाइयों को just in time (JIT) के द्वारा तीन दिन में राशि उनके खाते में जमा कराने का काम भी राज्य सरकार ने किया है। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में भी एक वर्ष में 18.78 लाख परिवारों को गैस कनेक्शन प्रदान किए गये है। प्रदेश में कुल 71.39 लाख परिवारों को लाभान्वित किया गया है। समर्थन मूल्य पर खरीदे गये अनाज के रख-रखाव के लिए संसाधनों को वितरित करना भी मध्यप्रदेश सरकार की प्राथमिकता रही है। नाबार्ड के सहयोग से प्रदेश के 139 विकासखण्डों और 76 उपार्जन केन्द्रों पर 77.40 करोड़ रूपये की लागत से 500-500 मैट्रिक टन क्षमता के ''''गोदाम सह-उचित मूल्य दुकान'''' निर्माण का कार्य हाथ में लिया गया है। निजी गोदाम संचालकों के प्रोत्साहन के साथ ही वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन की भण्डार क्षमता विस्तार के प्रयास जारी है । इसके लिए 143.87 करोड़ रूपये की डी.पी.आर. तैयार कर ऋण हेतु नाबार्ड को प्रस्ताव भेजा गया है।
               प्रदेश उपभोक्ता-हितों के संरक्षण में भी देश में अग्रणी राज्य है। राज्य सरकार के उपभोक्ता मामलों के विकास की मध्यप्रदेश राज्य उपभोक्ता हेल्पलाइन को लगातार चौथी बार प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है।



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