सोमवार, 16 दिसंबर 2019

उपभोक्ता ऊर्जा संरक्षण एवं दक्षता प्रबंधन को जीवन शैली का हिस्सा बनाएं- ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह -

उपभोक्ता ऊर्जा संरक्षण एवं दक्षता प्रबंधन को जीवन शैली का हिस्सा बनाएं- ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह
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छिन्दवाड़ा 


 

 

 

   
    प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह ने जबलपुर में ऊर्जा संरक्षण सप्ताह के अवसर पर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से कहा कि वे ऊर्जा संरक्षण और बिजली बचत को अपने जीवन का ध्येय बनाएं। उन्होंने कहा कि सुखद व सुरक्षि‍त भविष्य हेतु बिजली की बचत समय की सबसे बड़ी मांग है। शासन की मंशा के अनुरूप वर्तमान में प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं व उद्योगों को 24 घंटे और कृषि उपभोक्ताओं को 10 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसी स्थि‍ति में प्रदेश के नागरिकों को 24 घंटे बिजली सप्लाई करने का लक्ष्य केवल बिजली सप्लाई में वृध्दि करने से पूर्ण नहीं हो सकता, बल्कि इसके लिए ऊर्जा संरक्षण एवं उपभोक्ता दक्षता प्रबंधन को भी अपनाना होगा। प्रदेश में उद्योगों के अतिरिक्त ऊर्जा बचत की सबसे ज्यादा संभावना कृषि के उपयोग, स्ट्रीट लाइट व घरेलू लाइटिंग में है।
    उजाला योजना से ऊर्जा संरक्षण- ऊर्जा मंत्री श्री प्रियव्रत सिंह ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण के उद्देश्य से प्रारंभ की गई उजाला योजना को मध्यप्रदेश में भरपूर समर्थन मिला है। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश में एक करोड़ 75 लाख 31 हजार 165 एलईडी बल्व वितरित किए जा चुके हैं। एलईडी बल्वों के माध्यम से जहां उपभोक्ताओं के घरों के बिजली बिलों की राशि‍ में कमी आई, वहीं ऊर्जा संरक्षण का महत्वपूर्ण लक्ष्य भी हासिल हुआ है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण के संरक्षण में भी मदद मिली है। उजाला योजना की बदौलत मध्यप्रदेश में प्रतिवर्ष 22,76,720 एमडब्ल्यूएच (मेगावाट प्रतिघंटा) ऊर्जा और 911 करोड़ रूपए की बचत हुई। बिजली की उच्चतम मांग के समय में 456 मेगावाट पारम्परिक बिजली की बचत के साथ प्रतिवर्ष 18,44,143 टन कार्बन डाई आक्साइड (CO2) की कटौती संभव हुई है। प्रदेश में यह योजना भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय के सार्वजनिक क्षेत्र के संयुक्त उपक्रम इनर्जी एफिसि‍यंसी सर्विसेज लिमिटेड के माध्यम से लागू की गई है।
    ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागृति- ऊर्जा मंत्री श्री सिंह ने कहा कि देश व प्रदेश में 14 दिसंबर को ऊर्जा संरक्षण दिवस मनाने का उद्देश्य उपभोक्ताओं में ऊर्जा संरक्षण के प्रति जागृति लाना है। ऊर्जा संरक्षण का अर्थ यह नहीं है कि ऊर्जा या बिजली का उपयोग नहीं किया जाए, बल्कि बिजली का दक्षतापूर्वक व विवेकशील उपयोग किया जाए। विभिन्न सर्वेक्षणों से यह सिध्द हो चुका है कि बिजली की बहुत बड़ी मात्रा उपयोगकर्ता की असावधानी के कारण बर्बाद होती है। बिजली उपभोक्ता यदि थोड़ी सी सावधानी बरतें तो बिजली के दुरूपयोग रूक सकते हैं एवं अनावश्यक रूप से अधिक बिजली का बिल देने से बच सकते हैं। प्रत्येक उपभोक्ता की थोड़ी-थोड़ी बचत बिजली की बहुत बड़ी बचत में परिवर्तित हो सकती है।
    ऊर्जा के दक्ष प्रयोग को प्रोत्साहित करना- ऊर्जा मंत्री श्री सिंह ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 देश में सबसे महत्वपूर्ण बहुउद्देश्यीय विधान है और इसका उद्देश्य देश में ऊर्जा के दक्ष प्रयोग को प्रोत्साहित करना है। इस अधिनियम में उपस्करों व उपकरणों के लिए ऊर्जा उपभोग मानक निर्धारित किए गए हैं और उपभोक्ताओं के लिए ऊर्जा मानक एवं मानदंड स्थापित व निर्धारित किए गए हैं।
    प्रदेश में बिजली कंपनियों द्वारा ऊर्जा संरक्षण दिशा में ठोस कार्य- ऊर्जा मंत्री श्री सिंह ने कहा कि प्रदेश की सभी बिजली कंपनियां भी ऊर्जा संरक्षण की दिशा में ठोस कार्य कर रही हैं। पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रयासों से ट्रांसमिशन लॉसेस 2.71 प्रतिशत के न्यूनतम स्तर तक पहुंच गए हैं। जनरेटिंग कंपनी ने तेल व कोयले की बचत के साथ अधिक बिजली उत्पादन किया है। प्रदेश की तीनों डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों द्वारा एटी एंड सी लॉसेस को कम करने क लिए आर-एपीडीआरपी के अंतर्गत कार्य करने से बिजली हानियां पूर्व की तुलना में कम हुई हैं। बिजली कंपनियों के मुख्यालय शक्ति भवन में रूफ टाप बिजली प्लांट से लगभग 365 किलोवाट बिजली उत्पादित हो रही है। साढ़े तीन वर्षों में शक्ति भवन के रूफ टाप सोलर प्लांट द्वारा 16.68 लाख यूनिट बिजली उत्पादित हुई है। भोपाल में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्यालय परिसर में 11.96 किलोवाट रूफ टाप बिजली उत्पादित हो रही है। प्रदेश में अक्षय ऊर्जा को घर-घर तक पहुंचाने के लिए विकेन्द्रीकृत नवकरणीय ऊर्जा नीति लागू की गई है।  ऊर्जा मंत्री श्री सिंह ने कहा कि ऊर्जा संरक्षण के लिए अपना योगदान जोड़ने हेतु उपभोक्ता दो बातों का ध्यान रखें-प्रथमत: वे बिजली का वहीं उपयोग करें, जहां अति आवश्यक हो। दिन में सूर्य के प्रकाश का अधिकतम उपयोग करें व बहुत जरूरी नहीं होने पर बिजली चलित उपकरणों का उपयोग टालें। द्वितीय यह कि बिजली चलित उपकरणों की गुणवत्ता का ध्यान रखें।




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