शुक्रवार, 10 जनवरी 2020

DIG की मेहनत पर, दाग लगाने की कोशिश.. आरोपी की शिकायत पर, पुलिस की क्रास एफआईआर 


जनहित में मुख्यमंत्री जी की भूमाफियाओं के विरुद्ध मुहिम का व्यक्तिगत हित के लिए दुरुपयोग


प्रकरण की सुनवाई हाईकोर्ट और जिला कोर्ट में, फिर भी पुलिस ने आरोपी की शिकायत पर दर्ज की क्रास FIR


जनता के लिए चल रही मुहिम को कुछ अफसर, जनता विरोधी बना रहे है


जिस अफसर के दबाव में एफआईआर, उसका तबादला सूची में नाम


इंदौर।(राजेन्द्र के. गुप्ता 98270-70242) जिस पारिवारिक भूमि विवाद के प्रकरण हाईकोर्ट और जिला कोर्ट इंदौर में लंबित है, उसी भूमि प्रकरण में तहसीलदार, एसडीओ और रेवन्यू कमिश्नर आदेश पारित कर चुके है, उसी मामले में पुलिस ने क्रास एफआईआर दर्ज की है । वो भी उनकी शिकायत पर जिन पर हाईकोर्ट 15 हजार का अर्थ दंड लगा चुका है और कनाडिया थाना पुलिस ने भी उसके विरुद्ध एफआईआर क्रं./208/18 दिनांक 28/05/2018 दर्ज कर रखी है, उसी आरोपी आजाद पिता हाजी अब्बास पटेल की शिकायत पर, उसी पारिवारिक भूमि विवाद में ही, क्रास एफआईआर क्रं./09/20 दिनांक 08/01/2020 दर्ज कर ली । जबकि आजाद की वही शिकायत जिस पर एफआईआर क्रं./09/20 दर्ज की गई है, को पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा जाँच उपरांत दिनांक 15/02/2019 को नसतिबद्ध कर दिया था । इसे डीआईजी रुचि वर्धन मिश्र की मेहनत पर, दाग लगाने की कोशिश और साज़िश की तरह देखा जा रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री कमलनाथ का डीआईजी मिश्र पर भरोसा, पोस्टिंग की जुगत में लगे, कुछ पुलिस अफसरों को हजम नही हो रहा है, ऐसे प्रकरण बाद में भी बदनामी देते है, पूर्व में इंदौर पदस्थ रहे एक अफसर के साथ ऐसा हो चुका है....डीआईजी मिश्र जनता की बात ध्यान से सुन कर निर्णय ले रही है, डीआईजी मिश्र की जनता और सरकार में बढ़ती टीआरपी से जल कर वो अफसर इस तरह की हरकतें कर रहे है जो शुरू में कहते थे महिला अधिकारी इंदौर को संभाल नही पाएगी.. 


सीएसपी ने भी अपने प्रतिवेदन में कोर्ट आदेश पर ही जाँच की जाने का लिखा, फिर भी दर्ज की क्रास एफआईआर -


एसपी पूर्व के आदेश पर सीएसपी खजराना ने पत्र प्रतिवेदन क्रं./नपुअ/खजराना/121/पीपी/एसपीई/18 दिनांक 15/02/2019 में स्पष्ट लिखा है कि तहसीलदार न्यायालय में चले प्रकरण में तहसील कार्यालय से नोटिस जारी हुए और बटाँकन आदेश तहसीलदार न्यायालय द्वारा जारी किया गया है, पूरी कार्यवाही तहसीलदार न्यायालय में हुई है, सीएसपी ने अपने प्रतिवेदन में यह भी स्पष्ट लिखा है कि वर्तमान में प्रकरण सिविल कोर्ट वर्ग - 2 इंदौर में विचाराधीन है, माननीय सिविल न्यायाधीश महोदय के आदेश से ही पुलिस द्वारा अग्रिम जाँच एवं कार्यवाही की जा सकती है । इसके बावजूद थाना कनाडिया में आरोपी आजाद की शिकायत पर क्रास एफआईआर दर्ज कर ली ।


हाईकोर्ट ने भी लगाई कास्ट -


जिनकी शिकायत पर क्रास एफआईआर दर्ज की है, उन पर हाईकोर्ट ने, डीबी बेंच का आदेश छुपा कर WP याचिका क्रमांक/20511/19 लगाने और स्टे प्राप्त करने पर 15 हजार का अर्थ दंड (कास्ट) लगाया है । उसी भूमि विवाद में कनाडिया थाना इंदौर ने क्रास एफआईआर दर्ज कर ली है।


पुलिस ने जिसे गिरफ़्तार कर जेल भेजा, उसी भूमि विवाद में आरोपी की शिकायत पर दर्ज की एफआईआर -


पुलिस ने जाँच उपरांत आरोपी आजाद व अन्य पर अपराध क्रमांक  208/18 दर्ज किया और गिरफ़्तार कर जेल भेजा गया, उसके ही अर्थात आरोपी के शिकायत आवेदन को पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी, कोर्ट केस के कारण निरस्त कर चुके, फिर भी कनाडिया थाना पुलिस ने अचानक उसके ही आवेदन पर एफआईआर क्रमांक 09/20 दर्ज कर ली, है न मुख्यमंत्री जी की जनहित की मुहिम का व्यक्तिगत हित के लिए मनमाने ढंग से दुरुपयोग ? भूमाफ़ियाओं के विरुद्ध, जनता के लिए चल रही मुहिम को कुछ अफसर, इस प्रकार से जनता विरोधी बना रहे है। इसके दूरगामी परिणाम सरकार के लिए अच्छे नही होंगे, क्योंकि अफसर तो एक स्थान से स्वार्थ साध कर, दूसरे स्थान पर लग जाते है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरोपी की शिकायत पर उसी थाने में क्रास एफआईआर दर्ज करने का कारनामा, उस अफसर के दबाव में किया गया है, जिसका ऐसे ही कारणों से, शिकायतों के चलते, इंदौर से तबादला सूची में नाम है, शायद इसीलिए वो जल्द से जल्द ख़ूब काम कर लेना चाहते है, कोर्ट में उन अफसरों को जवाब देना भारी पड़ेगा जिनका कोई लेना-देना नही ! ...खबर अभी जारी है...


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