शुक्रवार, 24 जनवरी 2020

गृह मंत्रालय के फर्जी आदेश पर पाक्सो एक्ट के बलात्कार के आरोपी को जेल से रिहा कराने का प्रयास, खण्डवा के एक शातिर जालसाज ने एक दशक में सैकड़ो फर्जी शासकीय आदेश किये जारी

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जय नागड़ा,खण्डवा ( 9425190504 )


खण्डवा 24 जनवरी (वार्ता) व्यापम के घोटाले के लिए बदनाम मध्यप्रदेश में खण्डवा के एक शातिर जालसाज ने एक दशक में सैकड़ो फर्जी शासकीय आदेश जारी कर कही लोगो को नियुक्तियां दिलवा दी तो किसी के ट्रांसफर करवा दिए ,किसी को माइनिंग डिपार्टमेंट का आदेश देकर लीज़ आवंटित करवा दी तो किसी को राज्यपाल के हवाले से वन विभाग के प्रमुख सचिव का फर्जी आदेश देकर अनुज्ञप्ति जारी कर दी। सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि उसने गृह मंत्रालय के एक फर्जी आदेश जारी कर बुरहानपुर जेल से एक कैदी तक को रिहा करवाने की कोशिश की जिसने  एक नाबालिग  दुष्कर्म के आरोप मे पाक्सो एक्ट में गिरफ्तार किया गया था । इसके कारनामो के आगे अब व्यापम घोटाला भी छोटा लगेगा ,पुलिस ने इसके पास से 2 बोरे भरकर जो दस्तावेज़ बरामद किया है उसे देखकर अब पुलिस भी चकरा गई है। इनमे से कितने आदेशों का पालन भी हो चुका है ये जाँच और भी चौंकाने वाली होगी।


खण्डवा पुलिस अधीक्षक डॉ शिवदयाल सिंह ने बताया कि आरोपी  अनिरुद्ध मोतेकर पिता राजेंद्र मोतेकर 30 वर्षीय है। ये अपने आपको सीबीआई का एसपी बताकर लोगो से पैसे ऐंठता था। जालसाजी कर ठगी की वारदाते करता था। पिछले एक दशक से इस तरह की वारदातों को अंजाम दे रहा था यहाँ मध्यप्रदेश ,महाराष्ट्र और राजस्थान में। जगह जगह जाकर ये लोगो को शासकीय विभागों में नियुक्तियां दिलाने ,उनके स्थानानतरण कराने। यदि कोई जाँच चल रही है तो उनकी मदद करने में फर्जी आश्वासन देकर ,झांसा देकर लोगो से पैसे ऐंठता था। हमारे पास एक दर्जन शिकायते प्राप्त हुई तब इसकी जाँच पड़ताल की तो इसके पास दो दर्ज़न फर्जी स्टाम्प सील बरामद की जिसका उपयोग करके ये फर्जी नियुक्ति आदेश जारी करता था। भारी मात्रा में लोगो से पैसे ऐंठता था।
इसके पास से एक सील मिली है जिसमे इसने सीजेएम का स्टाम्प लगा हुआ है उसमे एक आदेश मिला है उसम इसने हमारे जिले और अन्य कई जिलों के जेलों में कैदियों की रिहाई करने के आदेश जारी किये है। इनका एक गिरोह है जिसमे ये मास्टरमाईंड है ,अभी एक गिरफ्तारी इसकी हुई है बाकि का क्या रोल रहा है इसकी जांच कर रहे है। इसके पास से आधा दर्ज़न लेपटॉप,मोबाइल फोन बरामद हुए है स्केनर ,प्रिंटर, पिस्टल और वाकी-टॉकी,एचएसएमबी (सुरक्षा जाँच उपकरण) भी मिले है। दो सौ से ज्यादा आदेश जो इसने फर्जी हस्ताक्षर कर बनाये थे। चाहे वो ट्रांसफर के आदेश हो या नियुक्ति के। परमिशन की अनुज्ञप्तियां भी है ,वन विभाग में ,माइनिंग में लीज़ की अनुज्ञप्तियां है। फर्जी प्रमाणपत्र ,जाति प्रमाणपत्र ,फर्जी मार्कशीट्स बनायीं है। इन सभी की कॉपियां और ओरिजनल डॉक्युमेंट्स बरामद किये  है। इसने कितने लार्ज स्केल पर कार्य किया है इसकी जाँच कर रहे है। मध्यप्रदेश और आसपास के राज्यों में कितने लोगो को ठगा है इसकी जाँच कर रहे है। यह 30 वर्षीय पढ़ालिखा युवक है जो कम्प्यूटर का एक्सपर्ट है।


 हैरानी की बात यह है कि जालसाजी सिर्फ सरकारी महकमों के दस्तावेजों तक सीमित नहीं रही। उसने तो गृह मंत्रालय  तक के फर्जी आदेश निकालकर पूरी व्यवस्था की धज्जियाँ उधेड़कर रख दी। उसने 9 दिसंबर 2019 को मध्यप्रदेश के राज्यपाल की ओर से गृह विभाग की अवरसचिव कमला उपाध्याय के हस्ताक्षर से एक आदेश जारी किया जिसमे थाना निम्बोला ,जिला बुरहानपुर में पंजीबद्ध अपराध क्रमांक 423/19 ,धारा 363 ,366 /ए ,376 आईपीसी ,3 /4 पास्को एक्ट  अंतर्गत सजायाफ्ता विचाराधीन कैदी रविंद्र पिता शांताराम सिरतुरे ,निवासी नेर ,जिला बुरहानपुर की रिहाई गृहमंत्री बाला बच्चनजी  अनुमतिपूर्वक एवं अनुशंसा के अधीन मंत्रालय शीघ्रताशीघ्र की जाना है। उक्त केस में रिहाई आर्डर गृहमंत्री एवं प्रशासनिक अधियकारियो के अंतिम निर्णय पर प्रदान किया जाये। यह तो राहत की बात  कि जेल में आदेश पहुँचने के बाद भी यह क्रियान्वित नहीं हो और उसके पहले इसके फर्जी होने का भांडा फूट गया वरना एक बदनुमा दाग मध्यप्रदेश सरकार के माथे और होता ...


 एस पी डॉ शिवदयाल सिंह ने बताया कि इस युवक ने माननीय  गवर्नर ,सचिव मध्यप्रदेश वन विभाग की फर्जी हस्ताक्षर से आदेश निकाल दिया। एक महिला को भोपाल के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय में क्लर्क के पद पर पदस्थ करने का आदेश भी निकाल दिया।इसने आदेशों के अलावा फर्जी मार्कशीट बनाई है ,फर्जी जाति प्रमाणपत्र बनाये है ,फर्जी चरित्र प्रमाणपत्र बनाये है। इसने दो हजार लोगो का फर्जी इन्शुरेंस करवा दिया ,उनसे प्रीमियम राशि ले ली लेकिन इन्शुरेंस नहीं किया। गाड़ी का इन्शुरेंस ,पुलिस के कार्य ,जन्म मृत्यु प्रमाणपत्र सभी फर्जी बनाये है।


इस युवक ने पूरे सरकारी सिस्टम की धज्जियाँ उड़ाकर रख दी है। जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ऑफ़ द   कहते है कि शासन के आदेश या कोर्ट के आदेश को कौन वेरिफाई करता है ?इसका तो पालन ही होता है। अब यह पुरे शासन के लिए चुनौती है कि उसके आदेशों की प्रमाणिकता कैसे बरक़रार रहे ? यह सवाल अब व्यापम से ज्यादा बड़ा है चूँकि इसने पाक्सो एक्ट के एक दुर्दांत बलात्कारी को  जेल से  बाहर करवाने का असफल दुष्प्रयास किया है।


जय नागड़ा ,खण्डवा


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