सोमवार, 27 जनवरी 2020

जामा मस्जिद में हुआ जलसा


खिरकिया। किसी बगीचे में एक ही तरह के फूल हो तो वहां कोई बैठना पसंद नही करता है। वहीं यदि बगीचे में तरह तरह के रंग बिरंगे फूल हो तो वहां सब रूकना पसंद करते है। हमारा देष इसी अंदाज का गुलदस्ता है, जहां तरह तरह के फूल खिल रहे है। कोई हिन्दू की शक्ल में, कोई सिक्ख तो कोई ईसाई और मुस्लिम की शक्ल में है। यह बात यौमे जम्हुरियत (गणतंत्र) के अवसर पर शहर मुस्लिम कमेटी द्वारा जामा मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम में खंडवा से आए मौलाना हाषिम ने कही। उन्होने कहा कि कमजोर से कमजोर फूल भी गुलषन की शान होना है। इस मुल्क में हर धर्म के लोग रहते है, जो इस देष की खूबसूरती है। हम सब एक इंसान की संतान है। भाषाओं की फर्क की वजह से अजनबियत होने लगती है। एक ही मनसतरूपा है। यह भावना हमारे अंदर नही बैठेगी, दुनिया के अंदर पाप दूर नही हो सकता। मोहब्बतें बढ़ नही सकती, नफरतें मिट नही सकी। हमारा संविधान हमारा कानून है। हम शपथ लेते है कि संविधान के हर हिस्से की रक्षा करेंगे। कार्यक्रम को पूर्व विधायक डा. आर के दोगने, पूर्व नपं अध्यक्ष यषोदा पाटिल, समाजसेवी सुनील जैन, सिक्ख समाज के पूर्व अध्यक्ष इकबालसिंह भाटिया, अनंतलाल दुबे, जामा मस्जिद सदर मो. इस्माईल ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया।  
उर्दु किसी धर्म की नही बल्कि हिन्दुस्तान की जुबान  
मौलाना हाषिम ने कहा कि पहले हिन्दु मुस्लिम भाई सभी को उर्दु आती थी। आज देष से धीरे धीरे उर्दु खत्म हो रही है। उर्दु हिन्दुस्तान जुबान है। यह किसी मजहब या मुसलमानों की जुबान नही है, यह तो लोगो ने जबरदस्ती थोप दिया। उर्दु में रामायण भी है, उर्दु में गीता भी है। मैं उर्दु में गीता पढ़ता है। उर्दु सभी जुबानों का गुलदस्ता है। जिस सीखना चाहिए। यह बाहर से आयी हुई भाषा नही है। सब लफ्जो का फेर है। अल्लाह अरबी में है, संस्कृत में आदिशक्ति है। अलग अलग भाषाओं में खुदा के अलग अलग नाम है। सब ईष्वर की बनायी हुई है।
जिसका पड़ोसी भूखा सोऐ, वह मुसलमान नही
महिलाओं को अपनी बहन, मां की माने तो सारे पाप खत्म हो जाऐंगे। जब इंसान अपनी इंसानियत भूल जाता है, तो वह जानवरों से भी बदत्तर हो जाता है। धर्म के मामले में कोई जबरदस्ती नही है। हर धर्म, ग्रंथ और शख्स का आदर करना है। किसी धर्म गुरू या ग्रंथ को कुछ कह नही सकते, यदि आपको उसके बारे में मालूम नही है, तो खमोषी बेहतर है। गलत कहते है, तो धार्मिक नही है। अपनी सियासत चमकाने के लिए यदि धर्म को लेबल लगाकर आ जाते है, तो हम धार्मिक नही है। उन्होने कहा कि हुकुमत या माल की घमंड में कभी किसी पर जुल्म नही करना। उन्होने कहा कि जिस मुसलमान का पड़ोसी चाहे वह कोई भी हो, यदि वह भूखा सो जाऐ, और वह पेट भरकर खाऐं, तो वह मुसलमान नही है। उन्होने कहा कि अंग्रेजो के शासन में सब कुछ हो रहा रहा था, रेल लाईन, बिजली, पुलिस प्रषासन व्यवस्था आयी। आखिर कौनसी की वजह थी, जो सारे हिन्दुस्तान के लोगो को फिक्र हुई की उन्हे भगाया जाए। पहले उन्हे जगह दी, बकायदा ईस्ट इंडिया कंपनी कायम की। लेकिन उन्होने अपनी चालबाजी से हिन्दुस्तान पर कब्जा जमाया। हमारा वतन भोलाभाला है, यहां फरेब वाले लोग नही है, जो आया उसे मोहब्बत के साथ अपनाया। अंग्रेजो ने इसी चाल से पंजे जमाऐं। लेकिन उन्होने इस गुलषन की खूबसूरती को खत्म करने की तैयारी कर ली थी। इंसाफ खत्म हो रहा था, जुल्म ज्यादती हो रही है। जिसकी फिक्र किसी जाति धर्म के लोगो को नही बल्कि हिन्दुस्तान के इंसानो को हुई, और सभी ने साथ मिलकर देष को आजाद कराया। इस दौरान मौलाना सलामतउल्लाह, मुफ्ति कुतुबुद्दीन साहब खंडवा पूर्व ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष श्यामसिंह राजपूत, संग्रामसिंह इरलावत, दुर्गादास पाटिल, सहित अन्य वर्गो के नागरिक मौजूद थे। छोटे छोटे बच्चो द्वारा अतिथियों का गुलाब देकर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन मुफ्ती मो. वसीम ने किया। कार्यक्रम में आलिम मो. कलीम अंसारी, हाजी मो. असलम का विषेष सहयोग रहा।


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