मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

सच्चाई व अच्छाई को ढूंढने वाले ही उत्कृष्ट मानव : आचार्य विजयराज जी


खिरकिया। नगर में विराजित जैन श्वेताम्बर आचार्य विजयराज जी मसा ने कहा कि मानव तीन तरह है। एक बुराई ढूंढने वाले, दूसरे अच्छाई ढूंढने वाले एवं तीसरे सच्चाई ढूंढने वाले। सच्चाई ढूंढने वाले मानव महानताओं को प्राप्त कर जाते है। ऐसे मानव तो बहुत कम नजर आते है। ज्यादा मानव बुराई ढूंढने वाले ही होते है। जब से हमने समझ पायी है, बस तभी से हम सिर्फ बुराई ढूंढ रहे है, वह भी दूसरा में, स्वयं में नही। इस आदत को परिवर्तित कर हम सच्चाई व अच्छाई को ढूंढने वाले बने। वहीं उत्कृष्ट मानव है। सत्य की पूजा करेंगे तो सारी पुजाऐ हो जाएगी। सत्य की साधना करने वाला अहिंसक बन जाएगा। एक को साधे तो सब सध जाऐंगे। वह एक सत्य है, जो हमें साधेगा वह अपनी आत्मा को साध लेता है। आज का  युग तनाव का युग है। तनाव की शुरूआत दूसरो की कमियों को देखने से होती है। असंतोष हमारी जिंदगी में तनाव पैदा करता है। क्यो हम दूसरे की बुराई देखते है, हमें प्रकृति ने यह अधिकार नही दिया। शांति की चाह हो तो एक सिद्धांत बना ले कि बुराईयों को न ढूंढे। अगर सामने वाले में 10 बुराईयां है, और 2 अच्छाई है, तो उन दो अच्छाईयें को महत्व दें। सम्यक दृष्टिकोण की हमारे लक्ष्य की ओर हमें ले जा सकता है। हमारी युवा पीढ़ी हमारे आचरणे को देखकर ही आगे बढ़ती है। इसलिए अपने आचरण में सुधार करें। संतो का प्रवचन बड़ा ट्रीटमेंट है, ऐसा ट्रीटमेंट जो डाक्टर नही कर सकता, कोई वैज्ञानिक नही कर सकता। राग असत्य का होता है, प्रेम सत्य का होता है।


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