शुक्रवार, 20 मार्च 2020

*न्याय के दोहरे मापदंड पर बुरहानपुर के एक अभियोजन अधिकारी ने व्यक्त की अपनी पीड़ा*।                  

                                   


 बुरहानपुर (मेहलक़ा अंसारी) आज भी इंसाफ पसंद लोग जिंदा  हैं, जिनके सच और निष्पक्ष बोलने से समाज को शक्ति एवं प्रेरणा प्राप्त होती है । जिला अभियोजन कार्यालय बुरहानपुर में पदस्थ अभियोजन अधिकारी श्री सुनील  कुरील ने निर्भया के आरोपियों को फांसी देने और उन्नाव प्रकरण में दोषी पाए गए आरोपी कुलदीप सिंह सिंगर को  आजीवन कारावास की सजा देने पर उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहां की निर्भया और उन्नाव केस के आरोपियों का कृत्य एक समान था । फिर  निर्भया के  आरोपियों को फांसी और उन्नाव के आरोपियों को आजीवन कारावास क्यों दिया गया ? इस बिंदु पर श्री कुरील ने स्वयं कहा कि उन्नाव प्रकरण का आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति है । श्री सुनील कुरील के अनुसार न्याय तो तभी संभव है, जब एक जैसे जुर्म के लिए एक जैसी बड़ी सजा दी जाए,जैसी के निर्भया  केस के आरोपियों को दी गई है । उन्होंने कहा कि 7 साल बाद ही सही लेकिन न्याय तो मिला । श्री सुनील कुरील के अनुसार कानूनी प्रक्रिया में न्याय ऐसी निश्चित अवधि में हो जाना चाहिए,जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट हो जाए और सज़ा से  समाज को सबक हासिल हो जाए, लेकिन देर से मिलने वाले न्याय से इसका महत्व समाप्त हो जाता है । निर्भया केस में आरोपियों को फांसी होने से जहां उसकी मां की आत्मा  प्रसन्न है, वहीं आरोपियों के अधिवक्ता ए पी सिंह ने आरोपियों को अंतिम क्षण तक बचाने के, जो प्रयास मीडिया के सामने किए हैं,उससे उनका आत्मविश्वास झलकता है ।  यह कहा जा सकता है कि उन्होंने पूर्ण समर्पित भाव से अंतिम क्षण तक आरोपियों के पक्ष में पैरवी की। लेकिन अंतिम समय वह आरोपियों को बचाने में असफल रहे किंतु अपने दांवपेच के द्वारा 7 वर्ष का समय उन्होंने गुजार दिया क्या यह कम है ।


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