मंगलवार, 16 जून 2020

अपहरण कर दुष्कर्म करने वाले आरोपी को न्यायालय ने जेल भेजा

राजगढ। राजगढ न्यायालय में पदस्थ माननीय विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो एक्ट श्रीमति अंजली पारे ने थाना सिटी ब्यावरा के अपराध क्रमांक 235/2020 में नाबालिग बालिका का अपहरण कर उसके साथ कुकृत्य करने वाले आरोपी रामबाबू की जमानत खारिज कर दी है। घटना का विवरण इस प्रकार है कि पीड़ित बालिका के पिता द्वारा आरक्षी केन्द्र शहर ब्यावरा में दिनांक 15.05.2020 को इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई कि वह दिनांक 12.05.2020 को अपनी रिश्तेदारी में जलालपुरा गया था, दिनांक 14.05.2020 को उसको दूरभाष से पता चला कि उसकी लडकी उसके घर पर नहीं है और तलाश करने पर भी नहीं मिल रही है। फरियादी ने गांव के रामबाबू पर शंका जाहिर की है कि वह उसकी लड़की को बहला-फुसलाकर ले गया है। तत्संबंध में थाना शहर ब्यावरा में अंतर्गत धारा 363 भादवि का अपराध पंजीबद्ध किया जाकर विवेचना प्रारंभ की गइ्र्र। विवेचना के दौरान अभियोक्त्री को दिनांक 17.05.2020 को ब्यावरा जिला राजगढ में दस्तयाब किया गया। दस्तयाबी के बाद पीड़िता के धारा 164 दण्ड प्रक्रिया संहिता के कथन लेख कराये गये । जिसमें उसने बताया कि सीमा सौंध्या ने उसे रामबाबू से बात करने के लिये कहा था। वह जब बात कर रही थी तो उसके काका के लडके ने बात करते देख लिया था। अभियोक्त्री ने उसे बताया कि सीमा सौंध्या धमकी देकर उसे रामबाबू से बात करने के लिए कहती है तो उसने अभियोक्त्री से मोबाईल छुड़ा लिया और उसकी बड़ी बहन को मोबाईल दे दिया। इसके संबंध में सीमा सौंध्या को पता चला तो उसने रामबाबू को फोन लगा दिया और बोला कि वह उसे भगा ले जाए। थोड़ी देर बाद रामबाबू गांव के बाहर मिला और अभियोक्त्री के गांव से बहुत दूर किसी खेत पर ले गया था, जहां पर उसने अभियोक्त्री को 2 दिन रखा और उसके साथ जबरदस्ती गलत काम किया। साथ ही अभियोक्त्री ने कथन में यह भी बताया कि आवेदक ने उसे धमकी दी थी कि वह पुलिस वालों को मर्जी से जाना बताए। अभियोक्त्री के धारा 164 द.प्र.स. के कथनों के आधार पर अपराध में धारा 366, 376, 109, 324 भादवि एवं 3/4, 16/17 पाॅक्सो एक्ट का इजाफा किया जाकर आगे की विवेचना प्रारंभ की गई। उक्त प्रकरण की विवेचना के दौरान आरोपी रामबाबू को गिरफ्तार कर अभिरक्षा में लिया गया था, जिसके उपरांत आरोपी को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। माननीय न्यायालय ने अभियुक्त को न्यायिक अभिरक्षा में में भेज दिया था जो वर्तमान में जेल में निरूद्ध है। आरोपी रामबाबू ने न्यायालय को अपना जमानत आवेदन पत्र प्रस्तुत कर जमानत की मांग की थी। अभियोजन की ओर से तर्क किये गये कि आरोपी रामबाबू ने पीडित अभियोक्त्री को अपह्रत कर उसके साथ गलत काम किया है । जिसमें यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया जाता है तो आरोपी प्रकरण के महत्वपूर्ण साक्षियों पर दबाव बनायेगा जिससे न्याय के विपरीत प्रभाव पड़ेगा । इस कारण आरोपी को जमानत पर रिहा न किया जावे। अभियोजन के तर्कों और पीडित बालिका के धारा 164 द.प्र.स. के कथनों को दृष्टिगमत रखते हुये माननीय न्यायालय ने आरोपी की जमानत खारिज करते हुये टिप्पणी की है कि _*‘‘आरोपी ने पीड़िता पर स्वयं के पक्ष में कथन करने हेतु दबाव बनाने का प्रयास किया है। ऐसी स्थिति में जबकि अभियोक्त्री के न्यायालय के समक्ष कथन लेख नहीं किये गये है। अतः यदि आरोपी को जमानत का लाभ दिया जाता है तो उसके द्वारा साक्षियों को प्रभावित किये जाने की आशंका से इंकार नहीं किया ज


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