शनिवार, 13 जून 2020

कोरोना वायरस की विश्व स्तरीय प्राकृतिक आपदा के मद्देनजर हज कमेटी ऑफ इंडिया मुंबई अपनी हज पॉलिसी में आवश्यक संशोधन करने पर तुरंत विचार करे


बुरहानपुर (मेहलक़ा अंसारी) मध्य प्रदेश हज वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष मुकीत खान(खंडवा) ने कोरोना वायरस की विश्व स्तरीय प्राकृतिक आपदा के संदर्भ में भारत सरकार की हज पॉलिसी (2017-2022) में आंशिक रूप से भारतीय हाजियों के हित में निर्धारित करने, आवश्यक संशोधन करने की मांग की है। मध्य प्रदेश हज वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष मुकीत खान खंडवा ने कहा कि जिस प्रकार भारतीय संविधान में समय-समय पर भारतीयों के हित में आवश्यक संशोधन हुआ है उसी प्रकार हज पॉलिसी 2017 22 में भी भारतीय हाजियों के हितों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हज कमेटी ऑफ इंडिया के पदाधिकारी भारतीय हज नीति 2017-22 का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं। जबकि सामाजिक रुप से परिस्थितियों के अनुसार अध्यादेश लाकर या अन्य प्रकार से जैसा कि भारत सरकार आवश्यक समझे, आवश्यक बदलाव किया जा सकता है। और आवश्यक बदलाव की समस्त शक्तियां एवं अधिकार भारत सरकार को प्राप्त हैं। हज कमेटी ऑफ इंडिया मुंबई ने अपने आदेश (फरमान/ सर्कुलर नम्बर 13) में इस बात की पुष्टि कर दी है कि इस साल हिंदुस्तान से सफर-ए-हज के आसार नही के बराबर है, हालाँकि सऊदी सरकार इस मुताल्लिक कब और कितने दिन में फैसला करेगी..? इसके लिये इंतज़ार करना होगा, समझ मे यह नही आता कि फैसला लेने में इतना वक्त क्यूँ..? हाँ या नही, जो भी है क्लियर हो जाये तो आवेदक हाजी संतुष्ट होकर बैठ जाये । दुनिया मे फैली कोरोना संक्रमण से इस साल हिंदुस्तान से जाने वाले हाजियों ने इस बात का अंदाज़ा तो लगा ही लिया था कि हज यात्रा की संभावना कम है । हज वेलफेयर सोसाइटी के प्रदेश अध्यक्ष मुकीत ख़ान ने कहा कि पता नही, हज कमिटी बार-बार इस बात पर ज़ोर क्यूँ दे रही है कि जो लोग अपनी मर्ज़ी से हज सफर कैन्सल कराना चाहें करा सकतें हैं..? कितने लोगों ने अपनी रकम वापस लेने की गुहार लगाई, जिस वजह से हज कमिटी को यह सर्कुलर निकालना पड़ा ? मुद्दा यह नही है। मुद्दा तो यह है कि किसी वजह से इस साल सफर ए हज नही होता है तो अपनी मर्ज़ी से कैन्सल कराने वालों और न कराने वालों को अगले साल मौका मिलेगा या नही, इस पर विचार करना और इस पर नीति निर्धारित करने की जरूरत है। जिस पर हज कमेटी ऑफ इंडिया मुंबई या उस के अधिकारीगण या पदाधिकारी गण कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। सन 2020 की पवित्र यात्रा में जिन लोगों ने आवेदन किया था क्या उनको आगामी वर्ष 2021 में फिर नए सिरे से फार्म भरने होंगे ? ऐसी स्थिति में फिर वही निर्धारित कोटे से ज़्यादा फार्म आने पर कुरा अंदाज़ी में नाम आने का इंतज़ार से परिस्थितियों में और उलझा जाएगा। अगर ऐसा कुछ हुआ तो सब गड़बड़ हो जाएगा, हज कमिटी को यह भी सोच लेना चाहिये कि अगले साल हज के फार्म भरने वालों की तादाद बहुत ज़्यादा ही होगी। वजह यह कि बहुत से लोगों ने हज 2020 में फार्म न भरते हुए 2021 में फार्म भरने का इरादा किया था, इसके अलावा हज 2020 की कुरा अंदाज़ी में नाम न आने वाले या कम वेटिंग नम्बर वाले लोग भी तो फार्म भरेंगे । हज कमिटी आफ इंडिया मुंबई इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपनी संशोधित नई पॉलिसी तैयार करने पर विचार करें, क्योंकि जब 2017-22 की हज पॉलिसी बनाई गई थी, तब नीति निर्धारकों को यह नही पता था कि ऐसी कोई संक्रामक बीमारी आएगी जो पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लगी,जिसकी वजह से हज का सफर भी मुश्किल में आन पड़ेगा । इसलिये हज पॉलिसी का रोना न रोकर नई संशोधित पॉलिसी तैयार की जा सकती है ताकि इस साल अगर हिंदुस्तान से हज सफ़र कैन्सल होता है तो उन सभी लोगों का जिनका हज के लिये चयन हुआ है अगले साल बगैर किसी आवेदन दिए उन्हें अवसर उपलब्ध कराया जाए यही न्याय संगत प्रतीत होता है। फरमान से अरमान तो टूटा ही है लेकिन उससे ज़्यादा मायूस लोग तब हो जाएंगे जब खुदा न खास्ता इस साल हज सफर भी न हो और अगले साल तरजीह भी न दी जाए । हिंदुस्तान के आज़मीन हज कमिटी पर ही भरोसा करते हैं और तवक्को भी यही रखतें हैं कि उनके हक में बेहतर फैसला होगा । लिहाज़ा हज कमिटी ऑफ इण्डिया मुंबई आरती हाजियों की प्रतिनिधि एवं विश्वसनीय संस्था होने के नाते अपनी ओर से भारतीय हाजियों की बात, भारतीय हाजियों की बात भारत सरकार और सऊदी सरकार तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। लेकिन इन सबके लिए इच्छाशक्ति का होना आवश्यक है।


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