शुक्रवार, 27 दिसंबर 2019

जैन परंपरा में पूजा, उपासना का है विशेष महत्व।


खिरकिया।जिस तरह मन्त्रों में नवकार महामन्त्र शास्वत है, तीर्थो में सम्मेद शिखर शास्वतहै, उसी प्रकार यंत्रों में सिद्धचक्र विधान भी शास्वत है।जैन परंपरा में पूजा, उपासना का विशेष महत्व है। इनमें से सिद्धचक्र महामंडल विधान की और भी अधिक महिमा है।यह एक ऐसा अनुष्ठान है,जो हमारे जीवन के समस्त पाप-ताप और संताप को नष्ट कर देता है।पुराणों के अनुसार मैना सुंदरी ने इसी सिद्धचक्र महामंडल विधान के आयोजन से अपने को ही पति श्रीपाल को कामदेव जैसा सुंदर बना दिया था।यह बात देश के सुप्रसिद्ध जैन विधिकार डॉ हर्षभाई डेडिया ने शुक्रवार को नागड़ा जिनिंग परिसर में दो दिवसीय देव, गुरु, मातृ उपकार स्मृति महोत्सव के पहले दिन सिद्धचक्र महामण्डल विधान के पूजन अवसर पर कही।यह कार्यक्रम श्वेताम्बर जैन साध्वी जयदर्शिता श्रीजी और साध्वी हिमांशुश्रीजी मसा की उपस्थिति और पावन निश्रा में हो रहा है।उन्होंने संगीत की स्वर लहरियों के बीच सिद्धचक्र पूजन करवाया।इस दौरान अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु परमेष्ठियों, सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र त्रिरत्नों और तप की पूजन के साथ साथ विस्तारपूर्वक अर्थ भी जनभाषा में समझाया।वहीं रात्रि में संगीतमयी भक्ति की गई।इस दौरान बड़ी संख्या में साधर्मी महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित थे।जैन श्वेताम्बर श्री शङ्गः संरक्षक  हरीशचंद नागड़ा ने बताया  अनुष्ठान के दूसरे दिन आज शनिवार को महामंत्र नवकार का भव्य जाप अनुष्ठान किया जाएगा। फोटो


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बुरहानपुर (इक़बाल अंसारी) भारतीय जनता पार्टी संभागीय कार्यालय इन्दौर की संभागीय चयन समिति के संयोजक श्री मधु वर्मा एवं श्री गजेंद्र पटेल के ...