गुरुवार, 18 जून 2020

छः वर्षीय अबोध बालिका से कुकृत्य करने वाले दुष्कर्मी को न्यायालय ने जेल भेजा

राजगढ। राजगढ न्यायालय में पदस्थ माननीय विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो एक्ट श्रीमति अंजली पारे ने थाना छापीहेड़ा के अपराध क्रमांक 54/2020 धारा 376, 342 भादवि एवं 5/6 पाॅक्सो एक्ट में नाबालिग बालिका का अपहरण कर उसके साथ कुकृत्य करने वाले आरोपी गोविंद की जमानत खारिज कर दी है। साथ ही न्यायालय ने टिप्पणी की है कि ‘‘अभियुक्त द्वारा कारित अपराध सामाजिक एवं नैतिक दृष्टिकोण से अत्यंत क्रूरतापूर्ण एवं घृणित कृत्य है।‘‘ घटना का विवरण इस प्रकार है कि फरियादी ने थाना छापीहेड़ा में आकर रिपोर्ट लिखवाई कि दिनांक 20 मार्च 2020 को दोपहर करीब 1 बजे फरियादी की नातिन रोते हुए घर आयी तब फरियादी और उसकी बहू के पूछने पर पीडित बालिका ने बताया कि जब वह घर के बाहर बच्चों के साथ खेल रही थी तभी गोविंद आया और उसे अपने घर के अंदर ले गया और दरवाजा बंद कर लिया और उसके साथ बलात्कार किया। आरोपी ने पीडित बालिका को घटना के बारे में बताये जाने पर जान से मारने की धमकी दी और पैसे का प्रलोभन दिया तब पीडित बालिका दरवाजा खोलकर वहां से भाग गयी। तत्संबंध में आरोपी के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई उक्त प्रकरण की विवेचना के दौरान आरोपी गोविंद ने न्यायालय को अपना जमानत आवेदन पत्र इस आधार पर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसने घटना कारित नहीं की है और उसे प्रकरण में झूंठा फसाया गया है। प्रकरण में पीडित बालिका के कथन के अतिरिक्त और कोई प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है। अभियुक्त ने अपने आवेदन पत्र मे ंयह तर्क भी दिये कि कोविड-19 वायरस से बचाव का समय चल रहा है और उसके परिवार की देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है। इस वायरस की वैक्सीन भी उपलब्ध नहीं है, प्रस्तुत कर जमानत की मांग की थी। जमानत पर सुनवाई के समय विशेष लोक अभियोजक श्री आलोक श्रीवास्तव ने तर्क किये कि आरोपी गोविंद ने एक 6 वर्षीय अबोध बालिका के साथ बलात्संग का अपराध कारित कर एक जघन्य एवं पूर्णतः अनैतिक अपराध को अंजाम दिया गया है। बलात्कार के प्रकरणों में केवल पीडित बालक की साक्ष्य ही पर्याप्त है इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के 2 न्यायदृष्टांत न्यायदृष्टांत श्रीनारायण शाह विरूद्ध स्टेट आॅफ त्रिपुरा (2004) 7 एस.सी.सी. 775 तथा न्यायदृष्टांत स्टेट आॅफ पजांब विरूद्ध गुरमीत सिंह ए.आई.आर. 1996 एस.सी.सी. 1393 भी प्रस्तुत किये गये। इसी साक्ष्य के आधार पर आरोपी के जघन्य कृत्य करने के कारण जमानत आवेदन निरस्त किया जावे। अभियोजन के तर्कों और पीडित बालिका के कथनों को दृष्टिगत रखते हुये माननीय न्यायालय ने आरोपी की जमानत खारिज कर दी है।


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